एक संत के श्रीमुख से



भँवर मेघवंशी मेघवाल समाज को बर्बाद कर देगा
  -  नानकदास ,बडी खाटू ( नागौर) 

 डॉ गुलाब चंद जिंदल ,अजमेर द्वारा प्राप्त सन्देश के मुताबिक 
कबीर आश्रम बड़ी खाटू (नागौर)  के संत नानकदास महाराज ने सोशल एक्टिविस्ट, पत्रकार, दलित चिंतक भँवर मेघवंशी को मेघवाल समाज को बर्बाद करने वाला बताया है। 

संत नानक दास ने भँवर मेघवंशी को " बिना नाथ का सांड " बताते हुए कहा है कि - " भँवर मेघवंशी और बाबा साहब (डॉ भीमराव आंबेडकर)  की विचारधारा मेघवाल समाज को बर्बाद कर देगी। "

महंत नानकदास ने राजस्थान के  मेघवाल समाज को भँवर मेघवंशी के भाषणों से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा है कि यह व्यक्ति पूरा नास्तिक है,  हमें ऐसे व्यक्ति की जरूरत नहीं है।

संत नानक दास का मानना है कि नागौर की धरती साधू संतों की धरती है। मेरे जैसे संत महंतों की सेवा करने, चरणों में गिरने,  आध्यात्म की शरण में जाने, भेंट चढाने, आशीर्वाद लेने से ही मेघवाल समाज का विकास होगा।

बड़ी खाटू के आश्रम के इस महंत ने  बाबा साहब डॉ भीमराव  अंबेडकर के लिए कहा है कि वो केवल कानून के जानकार थे, समाज का विकास कानून से नहीं आध्यात्म से होगा।

महंत का कहना है कि कबीर साहब और बाबा साहब आस्तिक विचारधारा के ही थे। इसलिए मेघवाल समाज को अपने  समारोह में अपने संत महंतों के होते हुए बौद्ध भिक्षु / भंते को नहीं बुलाना चाहिए।

इतना ही नहीं बल्कि उनका साफ कहना है कि जहाँ पर डा आंबेडकर से संबंधित कार्यक्रम हों तो मुझे नहीं बुलाना चाहिए। आंबेडकर का समाज के विकास में कोई योगदान नहीं है,अगर होता तो  डांगावास कांड, डेल्टा प्रकरण नहीं होते।

संत नानक दास के अनुसार उनका मेघवाल समाज ने कभी कोई सहयोग नहीं दिया है। इसलिये भविष्य में मुझे किसी समारोह में बुलाना है तो वाहन का  किराया और भेंट पूजा देनी ही पड़ेगी। 

नानक दास उवाच - " समाज वालों को यदि गौतम बुद्ध का दर्शन ठीक लगता है तो सभी बौद्ध बन जाओ ,लेकिन याद रखो कि आंबेडकरवाद से समाज का विकास रुक जायेगा। विकास तो संतों की सेवा से ही  होगा। "

(यह सभी बातें इन्होंने वाट्सएप मैसेज के माध्यम से
डॉ गुलाब चन्द जिन्दल अजमेर से हुए वार्तालाप के दौरान लिखित रूप में कही है ,जो डॉ जिंदल जी के पास सेव है )

मेरी टिप्पणी -

मैं एक असली नानकदास जी महाराज से परिचित हूँ ,जिनका जिक्र गुरुग्रन्थ में मिलता है ,उनके अलावा मैंने कभी किन्हीं नानकदास नाम भी नहीं सुना ,इनका नाम भी पहली बार गोटन के अम्बेडकर जयंती समारोह के दौरान मंच पर सुना।लेकिन समयाभाव के कारण उनके  महान विचार उस दिन नहीं जान पाया । 

उनके बारे में कई लोगों ने कहा कि अच्छे संत है ,समाज में शिक्षा की अलख जगा रहे है ,पर्यावरण चेतना और व्यसन मुक्ति की दिशा में प्रयासरत है ,उज्जवल धवल बिना सिले वस्त्र लपेटते है और स्फटिक की माला धारण करते है तथा पांवों में खड़ाऊ पहनते है। खड़ाऊ से लगा कि बैलगाड़ी से चलते होंगे अथवा पैदल विहार करते होंगे ,लेकिन पता चला कि एंड्रॉयड फोन पर व्हाट्सअप चलाते हैं और मंहगी गाड़ी से आवागमन करते है ,जिसका किराया समाज से वसूलते है। उनका निजी जीवन जो भी हो ,मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं है। 

मेरे प्रति वो जो भी कहना चाहते है ,वे अनंत काल तक कहते रहने को स्वतंत्र है ,मेरी तरफ से कोई आपत्ति नहीं है,किसी दिन उनमे क्षमता हो तो मुझ सरीखे बिना नाथ के सांड को नाथने का प्रयास करके भी देख ले ,मगर बाबा साहब अम्बेडकर के प्रति उनके विचार ठीक नहीं है,वे बाबा साहब को जान लेंगे तो उनका भला होगा ,समाज का भी भला होगा ,बाकी तो वो जैसा चाहे करते रहे,मेरा काम इस लोक का है और इन साधु संतों का कथित परलोक सुधारने का है।

समाज खुद तय करे कि ये काल्पनिक आत्मा परमात्मा भय भाग्य भगवान ,स्वर्ग नरक और पुनर्जन्म की वाहियात बातें कब तक सहनी है और कब तक मनुवाद के निठल्ले प्रचारकों को ढोना है ,कब इनसे मुक्ति पानी है,ताकि मेघवाल समाज ही नहीं बल्कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के हर समाज को अम्बेडकरवाद की असली राह मिल सके .

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